गुरु सलाउद्दीन पाशा - the real Hero of the society
बच्चों के
साथ काम करते हुए गुरु सलाउद्दीन पाशा को लंबा समय हुआ। दो सौ से अधिक बच्चों की
खूबसूरत टीम गुरुजी ने बनाई है। इन बच्चों को शारीरिक या मानसिक रूप से विकलांग
कहना उन्हें स[1]त
नापंसद है। वे इन्हें ‘असीमित योग्यता’ से लैस बच्चे कहते हैं। अपनी संस्था
को उन्होंने नाम दिया ‘एबिलिटी अनलिमिटेड’। गुरु पाशा इन बच्चों को हंसाते- गुदगुदाते हैं, नाचना-
गाना सिखलाते हैं। वह बताते हैं, ‘बचपन से ही नृत्य-संगीत में मेरी रुचि थी। उन्हीं दिनों पड़ोस में रहने वाले एक बच्चे से मिला। उसका
आईक्यू कम था। संगीत ने बच्चे पर गजब असर किया। तभी समझ आया कि संगीत में
चिकित्सकीय गुण हैं और सिलसिला चल पड़ा।’ गुरु पाशा को ‘फादर ऑफ इंडियन थेरेह्रश्वयूटिक थिएटर फॉर पर्सन विद डिसेबिलिटीज’ भी कहा जाता है। कत्थक की शिक्षा उन्होंने गुरु मायाराव से ली। भरतनाट्यम
का पहला प्रदर्शन उन्होंने छह साल की उम्र में किया। शारीरिक तौर पर असक्षम बच्चों
के साथ 100 नृत्य तैयार करने और उनके 10 हजार से भी अधिक प्रदर्शनों के लिए उनका नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में
दर्ज है।
पूर्वी
दिल्ली के एक छोटे-से लैट से चल रहे उनके डांस प्रोडक्शन हाउस में कई रंग देखने को
मिलते हैं। ‘वूमेन ऑफ
इंडिया’ की तैयारी उन्होंने बधिर बच्चों और युवाओं के साथ
की। भारत और फिनलैंड के बच्चों द्वारा प्रस्तुत नृत्य नाटिका ‘रामायण ऑन व्हील्स’ की दुनिया भर मंे चर्चा हुई।
मणिपुर की थांग-टा मार्शल आर्ट से प्रेरित ‘मार्शल आर्ट ऑन
व्हील्स’ देखकर दर्शक अचंभित रह जाते हैं। ‘व्हील्स’ उनके रचनाकर्म की केंद्रीय थीम है : ‘सूफी डांस ऑन व्हीलचेयर’, ‘भरतनाट्यम ऑन व्हील्स’,
‘कर्ण ऑन व्हील’, ‘फ्रीडम ऑन व्हील्स’ जैसी नाटिकाएं अपनी तरह की अकेली हैं। पोलियो से पीड़ित सोनु गुह्रश्वता
अपनी विकलांगता को लेकर बेहद निराश थे। ‘गुरु पाशा के साथ
बहुत कुछ सीखने को मिला,’ वह कहते हैं। सोनू ने पारा ओलिंपिक
में भी दूसरे मुल्कों में जाकर देश का मान बढ़ाया है। सोनू जैसे सैकड़ों बच्चों को
गुरुजी की वजह से जीने का मकसद मिला है।
Guru
Salauddin Pasha is the real Hero of the society “Unsung Heroes in India” Group
salutes him. :-)
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